वोटिंग के लिए उत्साहित हैं पहली बार के वोटर

द वीकली टाइम्स, वीरवार 9 मई 2024, गुड़गांव। लोकसभा चुनाव चल रहे हैं आगामी 25 मई को दिल्ली में भी वोटिंग होनी है।हर चुनाव की तरह इस बार भी अवश्य कुछ फर्स्ट टाइम वोटर हैं। इन वोटरों में वोटिंग करने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काफी उत्साह भी है। विभिन्न स्कूलों की तरह ऑर्किड द इंटरनेशनल स्कूल के बच्चे भी पहली बार वोट देने के लिए उत्साहित हैं। इस क्रम में कई प्रतिक्रियाओं में से ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल, सोनीपत की बारहवीं कक्षा की छात्रा सौम्या ठाकुर, चुनावी क्षेत्र कुंडली सोनीपत की व्यवस्था से अपेक्षाएं हैं कि यह क्षेत्र न्यायसंगत बुनियादी ढांचे की कमी, सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर और उपयुक्त बुनियादी ढांचागत माहौल बनाने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए उत्सुक हैं वे गुड़गांव को एक आर्थिक मॉडल क्षेत्र के रूप में देखते हैं  वे कहती हैं कि दिन-रात होने वाली रोड रेज, छेड़छाड़ के मुद्दे कानून-व्यवस्था का मुद्दा बन सकते हैं। वे ऐसे उम्मीदवार को  चुनना चाहतीं हैं जो जमीनी स्तर की समस्याओं को समझता हो और कुशल प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करता है। 

दिल्ली पब्लिक स्कूल, सोनीपत की छात्रा सुयशा रायकवार निर्वाचन क्षेत्र सोनीपत के दृष्टिकोण से जिम्मेदार नेता को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए। और पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए विकास को बढ़ावा दें। इसके अलावा बुनियादी आवश्यकताएँ भोजन, कपड़े, स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा सभी नागरिकों के लिए सुलभ होनी चाहिए।सुयशा समान संसाधन वितरण और रोजगार के अवसर पैदा करने को महत्वपूर्ण मानती हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल, सोनीपत की ही छात्रा  सनाह अहलूवालिया कक्षा 12 की कहती हैं कि एक जलवायु कार्यकर्ता के रूप में, मेरा मानना है कि पर्यावरणीय पहल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने, सतत विकास को बढ़ावा देने, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम जैसे लंबित विधेयक, हरित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करने, सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिए शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार करना सहित कई विषयों पर वे स्पष्ट मत रखते हैं।सनाह हमारी संस्कृति और विरासत का संरक्षण को भी महत्व देती हैं। सनाह पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की समर्थक हैं। वे कहती हैं मुझे यह भी उम्मीद है कि सरकार विकास में संतुलन बनाए रखेगी।

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