फिल्म समीक्षा : द केरल स्टोरी (The Kerala Story)

द वीकली टाइम्स, शुक्रवार 5 मई 2023(फिल्म समीक्षक : रेहाना परवीन) नई दिल्ली। फिल्म द केरल स्टोरी (The Kerala Story) सिनेमाघरों में 5 मई 2023 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म है। इसमें मुख्य कलाकार अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सोनिया बलानी, सिद्धि इदनानी, इत्यादि लेखक सूर्यपाल सिंह, सुदीप्तो सेन और विपुल अमृतलाल शाह निर्देशक सुदीप्तो सेन निर्माता विपुल अमृतलाल शाह हैं। फिल्म द केरल स्टोरी (The Kerala Story) केरल में 32000 से अधिक लड़कियों को आतंकवादी समूह आतंकवाद करने के लिए बेहला फुसलाकर के साथ-साथ लालच एवं आतंकवादी समूह के अल्लाह सभी भगवानो से बेहतर हैं इस बात पर यकीन दिलाकर लड़कियों से आतंकवाद के लिए सहयोग करवाना या आतंकवाद गतिविधयों में शामिल कराना है उस कहानी पर आधारित है। फिल्म आरम्भ होती है अदा शर्मा फिल्म की हीरोइन अफगानिस्तान में आतंकवादियों के चंगुल से भागती हुई बॉर्डर पर पुलिस द्वारा पकड़ी जाती है। वहां पूछताछ के दौरान बताती है वह केरला के स्कूल में नर्सिंग का कोर्स करने के दौरान हॉस्टल में इनके साथ आतंकवादी समूह से मिली हुई एक लड़की भी रहती है जो समय-समय पर अपने अल्लाह की तारीफ़ दूसरे के भगवान् के तुलना में करती है।  इस पर कुछ लड़कियां उस तारीफ़ में अपने भगवान को गलत समझने लगती है फिर वही लड़की अपने अन्य साथियों से मिलकर आतंकवाद के रास्ते चलाने लग जाती है। जब उसे लगता है वह आतंकवादी बन गई है तब वह वहां से भागती है। यह फिल्म अच्छी है परिवार के साथ देखी जा सकती है। फिल्म में एक बहुत बड़ा सन्देश है इसलिए इस फिल्म को सभी विशेषकर हर मां-बाप को देखनी चाहिए। 

मेरा मानना है फिल्म द केरल स्टोरी (The Kerala Story) मुस्लिम विरोधी नहीं है।  कियोंकि कोई भी अच्छा-बुरा व्यक्तिक या समूह जैसे मौलाना, पादरी, पंडित, अध्यापक,चोर-डकैत, शरावी, आतंवादी, इत्यादि से जब हम मिलेंगे तो वह अपने-अपने कार्यों की अपने-अपने तरीकों से तारीफ़ करेंगे। जब हम किसी अच्छे मौलाना, पादरी, पंडित, अध्यापक, इत्यादि की साथ रहकर इनकी बात सुनेंगे तो वह अच्छी-अच्छी बात बताएंगें इनमें से कोई भी गलत रस्ते की और नहीं ले जाएंगे। पर जब हम चोर-डकैत, शरावी, आतंवादी, इत्यादि के साथ रहेंगे तो वह अपने-अपने कार्यों को अपने तरिके से बेहतर बताएंगे। अब हमें सोचना है बेहतर क्या है। इसलिए में हर मां-बाप को सलाह देती हूँ। अपने बच्चों का मिजाज और सोच पर ध्यान रखें जब भी बदलाव आएं तो सतर्क हो जाएँ की उनका बच्चा अब किसी गलत या सही लोगों के सम्पर्क में नहीं आ गया कियोंकि हर बच्चा मासूम होता है उन्हें गलत या सही का पता देर से लगता है पर मां-बाप बच्चों के अनुसार ज्यादा समझ रखते हैं। एक और बात जिस भी देश में आतंकवाद बनाने की फैक्ट्री लगी है अब वहां के अधिकतर युवा आतंकवादी नहीं बन रहे है इसलिए अब वो आतंकवादी बनाने के लिए भारत के युवा को बहला फुसलाकर और लालच देकर अपने आतंकवाद की फैक्ट्री में झोक रहे है। इसलिए में सरकार को भी सचेत करना चाहती हूँ हमारे युवाओं को समय से पहले उनके अवसर एवं रोज़गार की व्यवस्था करें वो भी जहां रहते हों उसी के आस पास कियोंकि केरला की अधिकतर लड़कियां रोज़गार के लिए नर्स बनकर केरला को छोड़कर भारत के अन्य राज्य या विदेश में रोज़गार का सपना देखती हैं। जब वह लड़कियां नर्स बनकर रोज़गार के सिलसिले में बाहर जाएंगी तो उनके साथ अच्छा या बुरा कही भी कुछ भी हो सकता है। 

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