डीजी ज्ञानचंद्रा की तांत्रिक पेंटिंग का प्रसिद्ध चित्रकार सरदार परमजीत सिंह ने किया उद्घाटन

 

◆ डीजी ज्ञानचंद्रा वस्तुत वेदोपनिषद-गीता व श्वेत तन्त्रयोग के अनुसंधानक व प्रशिक्षक

◆ डीजी ज्ञानचंद्रा ने पिछले 60 वर्षों में लगभग 6000 से अधिक पेंटिंग बनाया

द वीकली टाइम्स, रविवार 1 जनवरी 2023, नई दिल्ली। 85 वर्षीय डीजी ज्ञानचंद्रा की तांत्रिक पेंटिंग का नई दिल्ली के आल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी (AIFACS) के गैलरी में 31 दिसम्बर 2022 से 4 जनवरी 2023 तक लगी। तांत्रिक पेंटिंग की प्रदर्शनी को रोज़ाना सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक देखा जा सकता है। डीजी ज्ञानचंद्रा वस्तुत वेदोपनिषद-गीता व श्वेत तन्त्रयोग के अनुसंधानक व प्रशिक्षक हैं उनके पेंटिंग इन्हीं विषयों को दिखाने का प्रयास करती है। इसके साथ भारत के अतिरिक्त वे अमेरिका,जर्मनी,ऑस्ट्रिया, फ्रांस व मॉरीशस में अनेक वार्ताएं तथा पेंटिंग प्रदर्शित कर चुके हैं।

आर्ट गैलरी का उद्घाटन प्रसिद्ध चित्रकार सरदार परमजीत सिंह ने किया, वही कई गणमय लोग उपस्थित रहे प्रेसवार्ता में डीजी ज्ञानचंद्रा ने संवाददाताओं को बताया में इस पेंटिंग को आर्ट और कैनवास पर बनाता हूँ यह पेंटिंग मनोविज्ञानिक पेंटिंग होती है इस पेंटिंग को देखने व् समझने से मन को शांति और बेहतर अनुभूति मिलती है। आगे बताया पिछले 60 वर्षों में लगभग 6000 से अधिक पेंटिंग बनाया है केवल कोविद काल में ही 1000 से अधिक पेंटिंग बनाया। पत्रकार के सवाल में डीजी ज्ञानचंद्रा ने बताया अभी 1 पेंटिंग रोज़ाना बनाता हूँ। क्या पेंटिंग को बेचने के के सवाल पर पत्रकारों को डीजी ज्ञानचंद्रा ने जबाब दिया में अपनी पेंटिंग को ओलाद की भाँति मानता हूँ। इतने अंतराल के बाद प्रदर्शनी आयोजित करने के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि पेशेवर वर्षों के दौरान उन्होंने यह कला अपने जुनून और अपने आंतरिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए की। वह अपनी आंतरिक भावना को भी अपनी कला के माध्यम से व्यक्त करना चाहते हैं,  इसलिए उन्होंने कभी इसे पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के बारे में नहीं सोचा। 



लेकिन अपने बेटों नवनीत मित्तल, अरविन्द मित्तल और करीबी दोस्तों के प्रोत्साहन के कारण वह फिर से प्रदर्शनी के मैदान में उतरने को तैयार हो गए। नवनीत मित्तल ने बताया कि हमारे पिता हमेशा सिद्धांतो के प्रति अग्रसर रहे हैं, उन्होंने जीवन को रचनात्मक रूप से जिया है।वैसे तो उनके कई रूप है,लेकिन पेंटिंग, और अध्यात्म से इनका जुड़ाव हमको प्रेरित करता है। उन्होंने बताया कि पिता जी ने कभी नही सोचा था कि उनकी कला को आम जनता पहचाने, उन्होंने कई किताबे भी लिखी है। उनकी कला को और ज्यादा पहचान मिले यही हमारा उद्देश्य है। इसलिए हमने उनकी पेंटिंग को प्रदर्शित किया है।

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